Banner Image

अं. वि. त्व. कें.
ज्ञान के लिए त्वरक

अंतर-विश्वविद्यालय प्रणाली में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की अनुसंधान सुविधा उपलब्ध कराने हेतु

Banner Image

अं. वि. त्व. कें.
ज्ञान के लिए त्वरक

अंतर-विश्वविद्यालय प्रणाली में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की अनुसंधान सुविधा उपलब्ध कराने हेतु

Banner Image

अं. वि. त्व. कें.
ज्ञान के लिए त्वरक

अंतर-विश्वविद्यालय प्रणाली में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की अनुसंधान सुविधा उपलब्ध कराने हेतु

Banner Image

अं. वि. त्व. कें.
ज्ञान के लिए त्वरक

अंतर-विश्वविद्यालय प्रणाली में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की अनुसंधान सुविधा उपलब्ध कराने हेतु

Banner Image

अं. वि. त्व. कें.
ज्ञान के लिए त्वरक

अंतर-विश्वविद्यालय प्रणाली में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की अनुसंधान सुविधा उपलब्ध कराने हेतु

अंतर-विश्वविद्यालय त्वरक केंद्र का परिचय

अंतर-विश्वविद्यालय त्वरक केंद्र (आई.यू.ए.सी.) की स्थापना माननीय प्रधानमंत्री और योजना आयोग के अनुमोदन पर, प्रथम अंतर-विश्वविद्यालय केंद्र (आई.यू.सी.) के रूप में विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा अक्टूबर, 1984 में की गई। प्रारंभ में इस केंद्र को नाभिकीय विज्ञान केंद्र के नाम से जाना जाता था। केंद्र का निर्माण कार्य दिसंबर 1986 में आरंभ हो कर अपने निर्धारित समय में, अर्थात 19 दिसंबर, 1990 को पूर्ण हुआ।

अंतर-विश्वविद्यालय त्वरक केंद्र (आई.यू.ए.सी.) का मूल उद्देश्य विश्वविद्यालय प्रणाली में, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी अनुसंधान की संभावनाएं निर्माण करने के उद्देश्य से वैज्ञानिकों को त्वरक आधारित अनुसंधान हेतु उन्नत एवं सर्वोत्कृष्ठ सुविधाएं प्रदान करना है। अंतर-विश्वविद्यालय त्वरक केंद्र, विश्वविद्यालय प्रणाली में एक शोध संस्थान के रूप में अग्रणी भूमिका निभा रहा है, जहाँ वैज्ञानिक और...

आगे पढ़ें...

निदेशक
की
लेखनी से

Avinash Chandra Pandey

आचार्य
अविनाश चंद्र पांडेय
निदेशक

अंतर-विश्वविद्यालय त्वरक केंद्र (पूर्व में नाभिकीय विज्ञान केंद्र), त्वरक आधारित वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में तीन दशकों से अधिक संचित अनुभव के साथ भारतीय शिक्षा क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए प्रतिष्ठित है।...

आगे पढ़ें...

त्वरक

Accelerators Sectors

त्वरक टैंक के अंदर त्वरक मशीन स्थापित की गई है जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। मध्य भाग में 15 मिलियन वोल्ट तक का उच्च वोल्टेज उत्पन्न होता है, जिसे टर्मिनल कहा जाता है। पेलेट्रॉन त्वरक को टर्मिनल क्षमता के 15 MV तक संचालित किया जा सकता है और डीसी के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के तत्वों के स्पंदित बीम का उत्पादन कर सकता है। पेलेट्रोन जुलाई 1991 से कार्यचालन में है। पेलेट्रॉन में उच्च टर्मिनल वोल्टेज के लिए संपीड़ित ज्यामिति त्वरक ट्यूब, उच्च वोल्टेज टर्मिनल के अंदर चार्ज स्टेट चयन के लिए ऑफसेट तथा सुमेलन चतुर्ध्रुवी और पूर्व-त्वरण क्षेत्र में एक बीम चॉपर, एक यात्रा तरंग विक्षेपक, एक प्रकाश आयन गुच्छे (1- 80 AMU के आयनों के लिए) और एक भारी आयन गुच्छे (>80 AMU के आयनों के लिए) सहित विस्तृत स्पंदन प्रणाली जैसी अनूठी विशेषताएं हैं।

आगे पढ़ें...
Accelerators Sectors

अंतर-विश्वविद्यालय त्वरक केंद्र में 15 UD पेलेट्रॉन के लिए अतिचालक रैखिक अभिवर्धक के लिए त्वरित संरचना एक नायोबियम चतुर्थांश तरंग अनुनादक है, जिसे आईयूएसी और एएनएल, यूएसए के संयुक्त सहयोग से अभिकल्पित एवं निर्मित किया गया है। पहले लिनैक मॉड्यूल के लिए आवश्यक प्रारंभिक अनुनादक एएनएल में निर्मित किए गए थे। भविष्य के मॉड्यूल के लिए आवश्यक अनुनादक के निर्माण के लिए आईयूएसी में एक अतिचालक अनुनादक निर्माण सुविधा स्थापित की गई है। तीन ‘चतुर्थांश तरंग अनुनादक’ (QWR) का निर्माण किया गया है और दूसरे और तीसरे लिनैक मॉड्यूल के लिए और पंद्रह अनुनादक पूर्ण होने के उन्नत चरण में हैं।

आगे पढ़ें...
Accelerators Sectors

अंतर-विश्वविद्यालय त्वरक केंद्र में 1.7 मिलियन वोल्ट पेलेट्रोन त्वरक वाले रदरफोर्ड पश्च प्रकीर्णन स्पेक्ट्रमिकी (RBS) सुविधा स्थापित की गई है। यह सुविधा निम्नलिखित वस्तुओं से सुसज्जित हैः

  • ऋणावेशित He और H आयनों के उत्पादन के लिए अल्फाट्रॉस आयन स्रोत।
  • 1.7 MV 5SDH-2 पेलेट्रॉन त्वरक
  • चार्ल्स इवांस एवं सहयोगियों द्वारा बनाया गया 4 - अक्ष गोनियोमीटर (मॉडल का नाम RBS-400)
आगे पढ़ें...
Accelerators Sectors

15 UD पेलेट्रोन वाला त्वरण द्रव्यमान स्पेक्ट्रममिति अं.वि.त्व.केंद्र में 10Be और 26AI संसूचन के लिए भारत की पहली AMS सुविधा है। अब यह सुविधा 10Be और 26AI माप कार्य के लिए भी उपलब्ध है।

द्रव्यमान स्पेक्ट्रममिति AMS त्वरक का उपयोग करती है। AMS का उपयोग ट्रेस तत्व की बहुत कम सांद्रता को मापने के लिए किया जाता है। सामान्य तौर पर ट्रेस तत्व दीर्घावधि समय तक जीवित रहने वाले रेडियो-समस्थानिक और कभी-कभी स्थिर समस्थानिक होते हैं। दीर्घावधि तक जीवित रहने वाले रेडियो- समस्थानिक विज्ञान की बहुत सी शाखाओं या विषयों जैसे कि भू-विज्ञान, पुरातत्व, जल विज्ञान, पर्यावरण विज्ञान, बायो मेडिसिन, ब्राह्मण्ड रसायन विज्ञान और नाभिकीय भौतिकी आदि में ट्रेसर और क्रोनोमीटर (काल मापक) का काम करते हैं। AMS का उपयोग अर्धचालक भू-वैज्ञानिक नमूनों और अन्य पदार्थों में अल्ट्रा ट्रेस स्तर पर स्थिर समस्थानिक का पता लगाने के लिए भी किया जाता है।

आगे पढ़ें...

Accelerators Sectors

अंतर-विश्वविद्यालय त्वरक केंद्र में आयन प्रत्यारोपक त्वरक सुविधा अत्यधिक स्थिर, समांतरित ऋणात्मक तथा एकधा आवेशित आयन बीम की परिवर्ती निम्न उर्जा, 30 से 200KeV और धारा तीव्रता, कुछ nA से कुछ μA तक प्रदान करती है। यह इस सुविधा को नाभिकीय ऊर्जा क्षति व्यवस्था जैसे सामग्री संश्लेषण, उपकरण निर्माण और सामग्री संशोधन में आयन-पिंड संपर्क के माध्यम से भौतिक विज्ञान में अनुसंधान करने के लिए एक उत्कृष्ट उपकरण बनाता है। त्वरक उपकरण में अनिवार्य रूप से एक आयन स्रोत, एक त्वरक स्तंभ, द्रव्यमान विश्लेषक और एक लक्ष्य कक्ष होता है, जहां आयन एक लक्ष्य पर प्रघात करते हैं। सुविधा का अभिकल्पन और विकास अंतर-विश्वविद्यालय त्वरक केंद्र में विकसित कई बीम लाइन घटकों, जैसे उच्च वोल्टेज प्लेटफॉर्म, विद्युत्स्थैतिक चतुर्धुवी त्रिक-लेंस, विद्युत्स्थैतिक चतुर्धुवी स्टीयरर्स और उच्च वैक्यूम प्रायोगिक कक्षों के साथ स्वदेशी रूप से किया गया है।

आगे पढ़ें...
Accelerators Sectors

नब्बे डिग्री बीमलाइन का इस्तेमाल बहु नमूना धारक के साथ प्रदान किए गए एक समर्पित कक्ष में पदार्थ विज्ञान प्रयोगों (प्रत्यारोपण, सतह आपरिवर्तन, विपट्टन आदि) के लिए किया जाता है, जिसे तरल नाइट्रोजन तापमान में गर्म (उदाहरणतः उच्च तापमान प्रत्यारोपण के लिए) या ठंडा किया जा सकता है। इसके अलावा ऑनलाइन विद्युत चालकता मापन भी किया जा सकता है।

आगे पढ़ें...
Accelerators Sectors

भौतिक विज्ञान में शिक्षा एवं अनुसंधान के लिए युवा संकाय सदस्यों और विद्यार्थियों का रुझान निर्माण करने के हेतु से हमने विश्वविद्यालय/कॉलेज स्तर पर भौतिक विज्ञान के विद्यार्थियों और संकाय सदस्यों के लिए 60kV टेबलटॉप आयन त्वरक और 30 kV टेबलटॉप आयन त्वरक विकसित किए हैं।

आगे पढ़ें...
Accelerators Sectors

उच्च धारा अंतःक्षेपक परियोजना को परिकल्पना पेलेट्रॉन त्वरक को निम्न धारा सीमा से बाहर निकलने के लिए और उत्कृष्ट गैसों आदि जैसी विभिन्न आयन प्रजातियां प्रदान के लिए की गई थी, जो वर्तमान पेलेट्रॉन त्वरक के साथ संभव नहीं है। HCI की उच्च धारा न केवल प्रयोग करने के लिए वांछित शिष्टों की संख्या कम करेगी, अपितु साथ-साथ उपयोगकर्ताओं को बहुत कम अनुप्रस्थ काट वाले नाभिकीय प्रतिक्रियाओं के अध्ययन के लिए भी सक्षम करेगा, जो कि इसकी निम्न धारा सीमा के कारण पेलेट्रॉन से बीम का उपयोग करना संभव नहीं है। A/q<-6 वाले उच्च आयन को त्वरित करने के लिए HCI रेडियो आवृत्ति चतुर्धुवी (RFQ), अपवाह नली लिनेक (DTL) और निन्म बेटा अतिचालक गुहा का उपयोग करेगा। DTL को 97 मेगाहर्ट्ज पर प्रचालित होने वाले छः इंटरडिजिटल - H (1H) RF प्रकार के RF अनुनादकों का उपयोग करके आयनों को 180 Kev/u से 1.8 Mev/u तक त्वरन के लिए अभिकल्पित किया गया है। (DTL) की वांछित निर्गत ऊर्जा मौजूदा अतिचालक के लिए आवश्यक न्यूनतम निविष्ट वेग (बेटा -0.06) द्वारा निर्धारित की जाती है। IH प्रकार के अनुनादक यंत्र अपनी उच्च पार्श्व पथ प्रतिबाधा के कारण कई अंतराल (DTL) अनुप्रयोगों के लिए वरीयता प्राप्त विकल्प है। 180 Kev/u से उच्‍च तापमान अतिचालक इलेक्ट्रान अनुनाद आय स्रोत (PKDELIS) कहा जाने वाला HTS-ECRIS से मौजूदा अतिचालक रेखिए त्वरक (SLINAC) तक से 1.8 MeV/U तक त्वरक छः स्वतंत्र रूप से चरणबद्ध 1H इस प्रकार RF गुहाओं द्वारा किया जाएगा।

आगे पढ़ें...
Accelerators Sectors

वर्तमान में अंतर-विश्वविद्यालय त्वरक केंद्र (अं.वि.त्व.केंद्र.) में पूर्व-गुच्छक मुक्त इलेक्ट्रान लेजर सुविधा वाला एक संहत निर्माणाधीन है, जिसे दिल्ली प्रकाश स्रोत (DLS) नाम दिया गया है। त्वरक सुविधा, पूर्ण बीम लाइन और प्रायोगिक सुविधाओं को कक्षा 10000 के स्वच्छ कमरे में समायोजित किया जा रहा है। एक कम उत्सर्जित स्पंदित इलेक्ट्रॉन बीम 2860 MH2 पर संचालित एक प्रकाशिक कैथोड आधारित सामान्य चालक RF गन (चित्र 1) द्वारा उत्पादित किया जाएगा और TH2 विकिरण का उत्पादन करने के लिए एक संहत तरंगक में अंतःक्षेपित किया जाएगा। अं.वि.त्व.केंद्र में क्लाइसट्रॉन और माडूलक सिस्टम (चित्र 2) लगाए जा रहे हैं। GPT और GlCOSY कूटों के साथ बीम प्रकाशिक परिकलन किए गए। केंद्र में विकसित लिएनार्ड- विएचर्ट विभव संरूपण पर आधारित एक अन्य कूट का इस्तेमाल तरंगक के अंदर हिलते-डुलते इलेक्ट्रॉनों से निकलने वाले TH2 विकिरण के मापदंडों की गणना करने के लिए किया जाता है। लेसर प्रणाली का अभिकल्प पूर्ण हो गया है तथा यह प्रणाली केईके, जापान के साझी सहभागिता में विकसित की गई है।

आगे पढ़ें...

अनुसंधान के क्षेत्र

आउटरीच कार्यक्रम

विद्या वाचस्पति (Ph.D.) अनुसंधान कार्यक्रम

यह कार्यक्रम दो सेमेस्टर द स्प्रिंग सेमेस्टर (जनवरी-मई) और फॉल सेमेस्टर (अगस्त-दिसंबर) में आयोजित किया जाता है।...

आगे पढ़ें...
विज्ञान स्नातकोत्तर कार्यक्रम

इंटर-यूनिवर्सिटी एक्सेलेरेटर सेंटर (आईयूएसी) एम.एससी आयोजित करता है। इच्छुक छात्रों को अपने ज्ञान के पूरक के लिए प्रोत्साहित करने और उन्हें विज्ञान में अपना करियर जारी रखने के लिए प्रेरित करने के लिए अभिविन्यास कार्यक्रम। इस कार्यक्रम की परिकल्पना चयनित एमएससी को त्वरक आधारित अनुसंधान से जुड़े क्षेत्रों में व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए की गई है। लघु परियोजनाओं के माध्यम से छात्र...

आगे पढ़ें...
ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रम

कुछ बीएससी (भौतिकी) छात्र जो अपने दूसरे / तीसरे वर्ष में हैं और भौतिकी में उच्च अध्ययन करने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं, उन्हें इस केंद्र में ग्रीष्मकालीन परियोजना प्रशिक्षण के लिए प्रत्येक वर्ष मई-जून के दौरान लगभग 4 सप्ताह के लिए आईयूएसी में आमंत्रित किया जाता है।...

आगे पढ़ें...
केंद्र में शैक्षणिक दौरा
अध्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम

आयोजन

Theme meeting on future prospects of the nuclear astrophysics program at IUAC

IUAC is planning to organise a theme meeting to discuss the future prospects of nuclear astrophysics research using the upcoming High Current Injector (HCI) accelerator facility on 19-20 May 2025. The meeting is intended to provide an open forum for ...

19/05/2025 9:00 to 20/05/2025 17:30

Microscopic Characterization Techniques (TEM/SEM/AFM)

Inter-University Accelerator Centre (IUAC), is organizing a School on Microscopic Characterization Techniques (TEM/SEM/AFM) during December 9-12, 2024. Microscopy offers numerous advantages across a variety of scientific fields, from biology and mate...

09/12/2024 9:00 to 12/12/2024 18:00
Back to Top